एक आम आदमी का असाधारण सफर: संजय सिंह की आत्मकथा
प्रारंभ: जन्म और बचपन
22 मार्च 1972 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में मेरा जन्म हुआ। मेरे माता-पिता दोनों शिक्षक थे। एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में पले-बढ़े, मुझे बचपन से ही शिक्षा का महत्व समझाया गया। मेरे माता-पिता ने मुझे हमेशा सिखाया कि ज्ञान और शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे हम अपने और समाज के जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
बचपन से ही मुझे सामाजिक मुद्दों में रुचि थी। स्कूल में होने वाली बहस प्रतियोगिताओं में मैं हमेशा भाग लेता था। एक बार की बात है, जब मैं 10वीं कक्षा में था, हमारे स्कूल में भ्रष्टाचार पर एक वाद-विवाद प्रतियोगिता हुई। मैंने उसमें भाग लिया और पहला स्थान प्राप्त किया। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि मेरी आवाज में समाज को बदलने की ताकत है।
युवावस्था: शिक्षा और सामाजिक कार्य
स्कूल के बाद मैंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। लेकिन मेरा मन हमेशा सामाजिक कार्यों की ओर खिंचता रहता था। 1994 में, जब मैं महज 22 साल का था, मैंने लखनऊ में 'आजाद समाज सेवा समिति' नाम का एक संगठन बनाया। इस संगठन के माध्यम से मैंने गरीबों को रोजगार दिलाने का काम शुरू किया।
एक दिन की बात है, मैं लखनऊ के एक स्लम इलाके में गया। वहां मुझे एक युवक मिला जो बेरोजगारी से परेशान था। मैंने उसे अपने संगठन में शामिल किया और उसे एक छोटा सा काम दिया। कुछ महीनों बाद वही युवक मेरे पास आया और बताया कि उसने अपना खुद का छोटा व्यवसाय शुरू कर दिया है। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि छोटे से प्रयास से भी किसी के जीवन में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
राजनीतिक सफर की शुरुआत
2006 में मेरी मुलाकात अरविंद केजरीवाल से हुई। उस समय वे सूचना का अधिकार (RTI) अभियान चला रहे थे। मैं उनके विचारों से बहुत प्रभावित हुआ और उनके साथ जुड़ गया। 2011 में जब अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया, तो मैं भी उसमें शामिल हो गया।
यह आंदोलन मेरे जीवन का टर्निंग पॉइंट था। मैंने देखा कि कैसे एक आम आदमी की आवाज पूरे देश को हिला सकती है। इस आंदोलन के दौरान मुझे जेल भी जाना पड़ा। जेल में बिताए वो 15 दिन मेरे जीवन के सबसे यादगार दिनों में से एक हैं। वहां मैंने कई ऐसे लोगों से मुलाकात की जो छोटे-मोटे अपराधों के लिए सालों से जेल में बंद थे। उनकी कहानियों ने मुझे और भी दृढ़ संकल्प दिया कि मुझे देश की न्याय व्यवस्था में सुधार के लिए काम करना है।
आम आदमी पार्टी की स्थापना
2012 में जब अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी (AAP) की स्थापना की, तो मैं उसके संस्थापक सदस्यों में से एक था। पार्टी का नाम 'आम आदमी पार्टी' रखने का फैसला हमने बहुत सोच-समझकर लिया था। हमारा मानना था कि देश की राजनीति में आम आदमी की आवाज को मुखर करने की जरूरत है।
पार्टी की स्थापना के बाद हमने दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। 2013 के चुनाव में हमें 28 सीटें मिलीं और हमने सरकार बनाई। हालांकि, यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चल पाई और 49 दिनों बाद अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया। यह हमारे लिए एक बड़ा झटका था, लेकिन हमने हार नहीं मानी।
2015 के चुनाव में हमने फिर से मैदान में उतरने का फैसला किया। इस बार हमने 70 में से 67 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। यह जीत मेरे लिए व्यक्तिगत तौर पर भी बहुत महत्वपूर्ण थी। मुझे याद है, जब नतीजे आए तो मैं भावुक हो गया था। मुझे लगा कि आखिरकार आम आदमी की आवाज को पहचान मिली है।
राज्यसभा सांसद के रूप में
2018 में मुझे दिल्ली से राज्यसभा का सदस्य चुना गया। यह मेरे लिए एक बड़ी जिम्मेदारी थी। संसद में मैंने हमेशा आम लोगों के मुद्दों को उठाने की कोशिश की। मुझे याद है, एक बार मैंने बच्चों के अधिकारों पर एक बहस शुरू की थी। इस बहस के दौरान मैंने बाल श्रम, बाल तस्करी और बच्चों के यौन शोषण जैसे मुद्दों पर जोरदार आवाज उठाई। मेरे इस प्रयास की UNICEF India ने सराहना की और मुझे 2020 में PGC अवार्ड से सम्मानित किया गया।
लेकिन मेरा संसदीय जीवन विवादों से भी अछूता नहीं रहा। 2020 में कृषि कानूनों के विरोध में मैंने संसद में हंगामा किया था, जिसके कारण मुझे निलंबित कर दिया गया था। हालांकि, मुझे लगता है कि कभी-कभी लोकतंत्र में अपनी बात रखने के लिए ऐसे कदम उठाने पड़ते हैं।
विवाद और चुनौतियां
मेरे राजनीतिक जीवन में कई विवाद भी आए। 2016 में मैंने पंजाब के तत्कालीन राजस्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया पर ड्रग तस्करी का आरोप लगाया था। इसके बाद मजीठिया ने मेरे खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया। यह मेरे लिए एक कठिन समय था, लेकिन मैंने अपने बयान पर डटे रहने का फैसला किया। मुझे लगता है कि सच्चाई के लिए लड़ना हमारा कर्तव्य है, चाहे उसके परिणाम कुछ भी हों।
2019 में राफेल डील विवाद के दौरान मेरे बयानों के कारण मुझे अहमदाबाद कोर्ट से नोटिस मिला। ये सभी चुनौतियां मेरे लिए एक परीक्षा की तरह थीं, जिन्होंने मुझे और मजबूत बनाया।
दिल्ली आबकारी नीति मामला
2022 में दिल्ली आबकारी नीति मामले में मेरा नाम आया। यह मेरे जीवन का सबसे कठिन दौर था। अक्टूबर 2023 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मुझे गिरफ्तार कर लिया। मुझे तिहाड़ जेल भेज दिया गया।
जेल में बिताए छह महीने मेरे जीवन के सबसे चुनौतीपूर्ण दिन थे। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने इस समय का उपयोग आत्मचिंतन और अध्ययन के लिए किया। मैंने जेल में रहते हुए कई किताबें पढ़ीं और अपने विचारों को लिखा।
अप्रैल 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने मुझे जमानत दे दी। जेल से बाहर आने के बाद मैंने महसूस किया कि यह अनुभव मुझे और मजबूत बनाकर गया है। मुझे लगता है कि हर चुनौती हमें कुछ न कुछ सिखाती है और हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
भविष्य की योजनाएं और संदेश
आज जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मुझे लगता है कि मैंने एक लंबा सफर तय किया है। एक साधारण परिवार के लड़के से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में एक प्रमुख आवाज बनने तक, यह यात्रा कई उतार-चढ़ाव से भरी रही है।
मेरा मानना है कि राजनीति समाज सेवा का एक माध्यम है। मैं आने वाले समय में भी लोगों की आवाज बनकर उनके हक के लिए लड़ता रहूंगा। मेरा सपना है कि एक दिन हमारा देश भ्रष्टाचार मुक्त हो और हर नागरिक को समान अवसर मिले।
मैं युवाओं से कहना चाहता हूं कि वे राजनीति में आएं और देश को बदलने का साहस दिखाएं। हमारे देश को ईमानदार और समर्पित नेताओं की जरूरत है।
अंत में, मैं कहना चाहूंगा कि सफलता का मतलब सिर्फ बड़े पदों पर पहुंचना नहीं है। असली सफलता है लोगों के दिलों में जगह बनाना और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना। मैं आशा करता हूं कि मेरे जीवन के अनुभव युवा पीढ़ी को प्रेरित करेंगे और वे भी देश सेवा के लिए आगे आएंगे।
मेरा सफर जारी है, और मैं अपने सपनों और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयासरत हूं।
Citations:
[1] https://en.wikipedia.org/wiki/Sanjay_Singh_%28AAP_politician%29
[2] https://www.jagran.com/politics/national-sanjay-singh-aap-politician-profile-jivan-parichay-family-child-parivar-23547365.html
[3] https://www.aajtak.in/legal-news/story/ed-did-not-oppose-sanjay-singh-bail-read-what-happened-in-supreme-court-delhi-liquor-scam-ntc-1910206-2024-04-02
[4] https://npg.news/politics/biography-of-sanjay-singh-in-hindi-aap-sansad-sanjay-singh-ka-jivan-parichay-up-ke-sultanapur-se-aam-adami-party-ka-neta-banane-tak-ka-safar-wiki-1250186