बहुजन की बेटी: मायावती की आत्मकथा
प्रारंभ: जन्म और बचपन
15 जनवरी 1956 को दिल्ली के श्रीमती सुचेता कृपलानी अस्पताल में मेरा जन्म हुआ। मेरे पिता प्रभु दास एक पोस्ट ऑफिस कर्मचारी थे और मां रामरती एक गृहिणी थीं। हम नौ भाई-बहन थे और हमारा परिवार एक साधारण दलित परिवार था।
बचपन से ही मुझे पढ़ाई में रुचि थी। हालांकि हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, फिर भी मेरे माता-पिता ने मेरी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया। मुझे याद है, एक बार जब मैंने स्कूल में प्रथम स्थान प्राप्त किया, तो पिताजी ने मुझे एक नई किताब गिफ्ट की थी। उस दिन मैंने तय किया था कि मैं पढ़-लिखकर कुछ बनूंगी।
युवावस्था: शिक्षा और संघर्ष
1975 में मैंने कालिंदी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. की डिग्री हासिल की। इसके बाद मैंने मेरठ विश्वविद्यालय से बी.एड. किया। 1983 में मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री भी प्राप्त की।
पढ़ाई के दौरान मुझे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। एक दलित लड़की होने के कारण कई बार मुझे भेदभाव का शिकार होना पड़ा। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और साथ ही एक स्कूल में शिक्षिका के रूप में काम भी किया।
1977 में मेरी जिंदगी में एक बड़ा मोड़ आया। मैं IAS की तैयारी कर रही थी। उसी दौरान कांशीराम जी मेरे घर आए। उन्होंने मुझसे पूछा, "तुम क्या बनना चाहती हो?" मैंने कहा, "IAS अफसर।" उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "मैं तुम्हें ऐसा नेता बना सकता हूं, जिसके आगे कई IAS अफसर लाइन में खड़े होंगे।" उनकी यह बात मेरे दिल में उतर गई।
राजनीति में प्रवेश: एक नई शुरुआत
कांशीराम जी के साथ मिलकर मैंने BAMCEF (ऑल इंडिया बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्प्लॉइज फेडरेशन) में काम करना शुरू किया। यहां मुझे समाज के पिछड़े और शोषित वर्गों की समस्याओं को करीब से समझने का मौका मिला।
1984 में जब कांशीराम जी ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) की स्थापना की, तो मैं उनके साथ जुड़ गई। यह मेरे लिए एक नई शुरुआत थी। मैंने घर-घर जाकर लोगों से मिलना शुरू किया। उनकी समस्याएं सुनीं और उन्हें पार्टी से जोड़ा।
1989 में मुझे पहली बार बिजनौर से लोकसभा का टिकट मिला। यह मेरे लिए एक बड़ी चुनौती थी। मैंने दिन-रात एक करके चुनाव प्रचार किया। लोगों ने मुझ पर भरोसा जताया और मैं पहली बार सांसद बनी।
मुख्यमंत्री बनने का सफर
1995 में मेरे जीवन का सबसे बड़ा दिन आया। मैं उत्तर प्रदेश की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बनी। यह न केवल मेरे लिए, बल्कि पूरे दलित समाज के लिए गर्व का क्षण था।
मुख्यमंत्री बनते ही मैंने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। मैंने दलितों और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कई योजनाएं शुरू कीं। मैंने कानून व्यवस्था को सुधारने पर विशेष ध्यान दिया।
लेकिन राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता। कुछ ही महीनों बाद मेरी सरकार गिर गई। यह मेरे लिए एक बड़ा झटका था। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी।
1997 में मैं फिर से मुख्यमंत्री बनी, लेकिन यह कार्यकाल भी छह महीने का ही रहा। 2002 में मुझे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। इस बार मैंने पूरे एक साल तक सरकार चलाई।
2007: एक ऐतिहासिक जीत
2007 का विधानसभा चुनाव मेरे जीवन का सबसे यादगार चुनाव था। इस बार हमारी पार्टी ने पूर्ण बहुमत हासिल किया। मैं चौथी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी।
इस बार मैंने "सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय" का नारा दिया। मेरा लक्ष्य था कि समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलना। मैंने ब्राह्मणों और अन्य उच्च जातियों को भी पार्टी से जोड़ा।
मेरे इस कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण काम हुए। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे का निर्माण शुरू हुआ। गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) का विकास तेजी से हुआ। मैंने शिक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया।
लेकिन विरोधियों ने मुझ पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। मूर्तियों और स्मारकों के निर्माण पर खर्च को लेकर सवाल उठाए गए। मैंने इन आरोपों का हमेशा खंडन किया। मेरा मानना था कि दलित नायकों की मूर्तियां लगाना भी जरूरी है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा मिल सके।
चुनौतियों का सामना
2012 के विधानसभा चुनाव में हमारी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। यह मेरे लिए एक बड़ा झटका था। लेकिन मैंने इसे एक सीख के रूप में लिया। मैंने अपनी रणनीतियों पर फिर से विचार किया और पार्टी संगठन को मजबूत करने पर ध्यान दिया।
2014 के लोकसभा चुनाव में हमारी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। यह मेरे राजनीतिक जीवन का सबसे कठिन समय था। कई लोगों ने मुझे सलाह दी कि मैं राजनीति छोड़ दूं। लेकिन मैंने हार नहीं मानी।
मैंने फिर से जमीनी स्तर पर काम करना शुरू किया। गांव-गांव जाकर लोगों से मिली। उनकी समस्याएं सुनीं और उन्हें हल करने का प्रयास किया।
नए युग की ओर
आज जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं, तो मुझे लगता है कि मैंने एक लंबा सफर तय किया है। एक साधारण दलित परिवार की लड़की से लेकर चार बार मुख्यमंत्री बनने तक, यह यात्रा कई उतार-चढ़ाव से भरी रही है।
लेकिन मेरा सफर अभी खत्म नहीं हुआ है। मैं अभी भी अपने राज्य और देश के विकास के लिए प्रतिबद्ध हूं। मेरा सपना है कि एक दिन भारत में जाति-आधारित भेदभाव समाप्त हो और हर व्यक्ति को समान अवसर मिले।
मैं युवाओं से कहना चाहती हूं कि वे कभी हार न मानें। अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार हैं और कड़ी मेहनत करते हैं, तो सफलता जरूर मिलेगी।
अंत में, मैं कहना चाहूंगी कि राजनीति में सफलता का मतलब सिर्फ सत्ता में बने रहना नहीं है। असली सफलता है लोगों के दिलों में जगह बनाना और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना। मैं आशा करती हूं कि मेरे जीवन के अनुभव युवा पीढ़ी को प्रेरित करेंगे और वे भी समाज सेवा के लिए आगे आएंगे।
मेरा सफर जारी है, और मैं अपने सपनों और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयासरत हूं। मुझे विश्वास है कि एक दिन हम एक ऐसा भारत बनाएंगे, जहां हर व्यक्ति को सम्मान और समानता मिलेगी।
Citations:
[1] https://www.britannica.com/biography/Kumari-Mayawati
[2] https://thesatyashodhak.com/mayawati-astute-politician-and-an-ambedkarite-feminist-icon/
[3] https://www.business-standard.com/about/who-is-mayawati
[4] https://www.oneindia.com/politicians/mayawati-71647.html
[5] https://www.indiatvnews.com/profile/mayawati
[6] https://simple.wikipedia.org/wiki/Mayawati
[7] https://en.wikipedia.org/wiki/Mayawati
[8] https://www.bhaskar.com/news/up-luck-mayawati-planned-for-2017-give-responsibility-for-youth-under-the-age-of-18-4803697-nor.html
[9] https://frontline.thehindu.com/politics/mayawati-profile-an-icon-in-retreat-dalit-politics-darling-of-marginalised-masses-now-struggling-to-remain-relevant/article67489133.ece
[10] https://frontline.thehindu.com/newsletter/the-frontline-weekly/mayawati-the-rise-and-fall-frontline-newsletter/article67582675.ece
[11] https://indianexpress.com/article/opinion/columns/why-mayawati-is-the-patron-mother-of-bahujan-politics-9218332/
[12] https://www.deccanherald.com/opinion/mayawati-the-dalit-leader-chooses-obscurity-2948049
[13] https://www.freepressjournal.in/analysis/the-growing-irrelevance-of-mayawati-and-her-party