कुंडा का राजा: रघुराज प्रताप सिंह की आत्मकथा
प्रारंभ: एक राजघराने का वारिस
31 अक्टूबर 1967 को प्रतापगढ़ के भदरी रियासत में मेरा जन्म हुआ। मेरे पिता श्री उदय प्रताप सिंह और माता श्रीमती मंजुल राजे थे। हमारा परिवार एक प्रतिष्ठित क्षत्रिय राजघराने से था। मेरे दादा राजा बजरंग बहादुर सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और बाद में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे।
बचपन से ही मुझे अपने राजसी ठाठ-बाट का अहसास था। हमारा विशाल हवेली नुमा घर, नौकर-चाकर, घुड़सवारी - यह सब मेरे लिए आम बात थी। लेकिन साथ ही मेरे माता-पिता ने मुझे जमीन से जुड़े रहने की सीख भी दी। वे चाहते थे कि मैं अपने क्षेत्र के लोगों से जुड़ा रहूं और उनकी समस्याओं को समझूं।
शिक्षा और युवावस्था: एक नए युग की शुरुआत
मेरी प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद के नारायणी आश्रम और महाप्रभु बाल विद्यालय में हुई। 1985 में मैंने भारत स्काउट एंड गाइड हाई स्कूल से दसवीं और 1987 में इलाहाबाद के एक इंटरमीडिएट स्कूल से बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की।
युवावस्था में मेरी रुचि खेलों और साहसिक गतिविधियों में थी। घुड़सवारी और निशानेबाजी मेरे पसंदीदा शौक थे। इन्हीं दिनों मैंने हवाई जहाज उड़ाना भी सीखा। मुझे याद है, पहली बार जब मैंने अकेले विमान उड़ाया, तो वह अनुभव अद्भुत था। आसमान में उड़ते हुए मुझे लगा जैसे मैं अपने क्षेत्र के लोगों के लिए कुछ बड़ा कर सकता हूं।
उच्च शिक्षा के लिए मैं लखनऊ विश्वविद्यालय गया। वहां मैंने कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की। साथ ही मिलिट्री साइंस और भारतीय मध्यकालीन इतिहास में भी स्नातक किया। इन विषयों ने मुझे एक नया दृष्टिकोण दिया। मैंने महसूस किया कि मेरे पूर्वज जो कुछ कर गए हैं, उसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी अब मेरे कंधों पर है।
राजनीति में प्रवेश: एक नए युग का आगाज
1993 में, जब मैं महज 26 वर्ष का था, मैंने राजनीति में कदम रखा। यह एक बड़ा फैसला था। मैंने अपने क्षेत्र कुंडा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। यह मेरे लिए एक नई शुरुआत थी।
मुझे याद है, जब मैं पहली बार विधानसभा पहुंचा, तो वहां का माहौल मेरे लिए बिल्कुल नया था। लेकिन मैंने जल्द ही अपने आप को ढाल लिया। मेरा लक्ष्य था अपने क्षेत्र का विकास और लोगों की समस्याओं का समाधान।
1996 में मैंने फिर से चुनाव जीता। इस बार भाजपा के समर्थन से। धीरे-धीरे मेरा राजनीतिक कद बढ़ने लगा। 1997 में मुझे कल्याण सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। यह मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।
विवाद और संघर्ष: जीवन के कठिन पल
लेकिन राजनीति में सफलता के साथ विवाद भी आए। 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मुझ पर पोटा (आतंकवाद निरोधक कानून) के तहत मामला दर्ज करवाया। मुझे गिरफ्तार कर लिया गया।
जेल का वह समय मेरे जीवन का सबसे कठिन दौर था। 11 महीने तक मैं जेल में रहा। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। जेल में रहते हुए मैंने अपने आप को और मजबूत किया। मैंने वहां के कैदियों की समस्याएं सुनीं और उनकी मदद करने का प्रयास किया।
जेल से बाहर आने के बाद मुझे लगा कि मेरा राजनीतिक करियर खत्म हो गया है। लेकिन मेरे समर्थकों ने मेरा साथ नहीं छोड़ा। 2002 के चुनाव में मैंने फिर से जीत हासिल की। यह मेरे लिए एक नई शुरुआत थी।
सत्ता में वापसी: नए अवसर और चुनौतियां
2003 में जब मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी, तो मुझे फिर से मंत्री बनाया गया। इस बार मुझे खाद्य एवं रसद विभाग की जिम्मेदारी दी गई। यह एक चुनौतीपूर्ण काम था, लेकिन मैंने इसे पूरी ईमानदारी से निभाया।
मंत्री रहते हुए मैंने महसूस किया कि सरकारी तंत्र में कई खामियां हैं। मैंने इन्हें दूर करने का प्रयास किया। गरीबों तक राशन पहुंचाने के लिए मैंने कई नए कदम उठाए। इससे मेरी लोकप्रियता और बढ़ गई।
2007 और 2012 के चुनावों में भी मैंने जीत हासिल की। इस दौरान मैंने अपने क्षेत्र में कई विकास कार्य करवाए। सड़कें, स्कूल, अस्पताल - मैंने हर क्षेत्र में काम किया। मेरा मानना था कि विकास ही असली राजनीति है।
नए मोड़: अपनी पार्टी की स्थापना
2018 में मैंने एक बड़ा फैसला लिया। मैंने अपनी खुद की पार्टी 'जनसत्ता दल लोकतांत्रिक' की स्थापना की। यह मेरे लिए एक नया चैलेंज था। मैं चाहता था कि मेरी पार्टी लोगों की आवाज बने।
पार्टी की स्थापना के बाद मैंने पूरे उत्तर प्रदेश का दौरा किया। मैंने लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनीं। मुझे एहसास हुआ कि अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।
2022 के चुनाव में मैंने अपनी पार्टी से चुनाव लड़ने का फैसला किया। यह मेरे लिए एक नई चुनौती थी। लेकिन मुझे विश्वास था कि मेरे समर्थक मेरे साथ हैं।
निजी जीवन: परिवार और रिश्ते
राजनीति के साथ-साथ मेरा निजी जीवन भी चर्चा का विषय रहा है। मेरी शादी बस्ती रियासत की राजकुमारी भान्वी देवी से हुई। हमारे दो पुत्र शिवराज और बृजराज तथा दो पुत्रियां राधवी और बृजेश्वरी हैं।
परिवार मेरे लिए हमेशा प्राथमिकता रही है। चाहे कितनी भी व्यस्तता हो, मैं अपने बच्चों के लिए समय निकालने की कोशिश करता हूं। मुझे याद है, जब मेरे बेटे की पहली क्रिकेट मैच थी, तो मैंने अपनी सारी मीटिंग्स कैंसिल कर दी थीं ताकि उसे सपोर्ट कर सकूं।
हालांकि, हाल ही में मेरी पत्नी भानवी सिंह ने मुझ पर कुछ गंभीर आरोप लगाए हैं। यह मेरे जीवन का एक कठिन दौर है। लेकिन मैं विश्वास करता हूं कि सच्चाई जल्द ही सामने आएगी।
विवादों का सामना: डीएसपी हत्याकांड
मेरे राजनीतिक जीवन में कई विवाद रहे हैं। इनमें से सबसे बड़ा विवाद 2013 का डीएसपी जिया-उल हक हत्याकांड था। यह घटना मेरे निर्वाचन क्षेत्र कुंडा में हुई थी।
जब यह घटना हुई, मैं उस समय कैबिनेट मंत्री था। डीएसपी की पत्नी ने मुझ पर आरोप लगाया कि मेरा इस हत्या में हाथ है। यह मेरे लिए बहुत कठिन समय था। मीडिया में मेरा नाम लगातार छाया रहा।
मैंने तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे दिया और जांच में पूरा सहयोग किया। सीबीआई ने इस मामले की जांच की और अंत में मुझे क्लीन चिट दे दी। लेकिन इस घटना ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। मैंने महसूस किया कि एक जनप्रतिनिधि के रूप में मेरी जिम्मेदारी सिर्फ विकास कार्य करवाना नहीं है, बल्कि अपने क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखना भी है।
भविष्य की ओर: नए लक्ष्य और आकांक्षाएं
आज जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मुझे लगता है कि मैंने एक लंबा सफर तय किया है। एक राजघराने के वारिस से लेकर एक जनप्रतिनिधि बनने तक, यह यात्रा कई उतार-चढ़ाव से भरी रही है।
लेकिन मेरा सफर अभी खत्म नहीं हुआ है। मैं अभी भी अपने क्षेत्र और प्रदेश के विकास के लिए प्रतिबद्ध हूं। मेरा सपना है कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे विकसित राज्य बने। इसके लिए मैं लगातार काम कर रहा हूं।
मेरी पार्टी 'जनसत्ता दल लोकतांत्रिक' के माध्यम से मैं युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं। मुझे लगता है कि नई सोच और नए विचारों की जरूरत है। युवाओं को राजनीति में आने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। वे नए दृष्टिकोण और ऊर्जा लेकर आएंगे जो हमारे राज्य और देश के विकास के लिए जरूरी है।
मेरी पार्टी 'जनसत्ता दल लोकतांत्रिक' का उद्देश्य भी यही है - एक नया राजनीतिक विकल्प प्रदान करना जो लोगों की आवाज बन सके। मैं चाहता हूं कि हमारी पार्टी जमीनी स्तर से जुड़े और लोगों की समस्याओं को समझे।
जब मैं अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत पर नजर डालता हूं, तो मुझे याद आता है कि मैंने 24 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखा था[4]। मेरे पिता इसके खिलाफ थे। वे चाहते थे कि मैं पढ़ाई न करूं और राजनीति से दूर रहूं[4]। लेकिन मेरी मां ने चोरी-छिपे मेरा दाखिला करवाया और मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
आज जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मुझे लगता है कि मैंने सही फैसला लिया। मैंने अपने क्षेत्र के लिए कुछ कर पाने का मौका मिला। लेकिन साथ ही मुझे एहसास है कि अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
मेरे जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए। 2002 में मुझ पर पोटा के तहत मामला दर्ज किया गया और मुझे जेल जाना पड़ा[1]। वह मेरे जीवन का सबसे कठिन समय था। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। जेल में रहते हुए मैंने अपने आप को और मजबूत किया।
2013 में डीएसपी जिया-उल हक हत्याकांड में मेरा नाम आया[1]। यह मेरे लिए एक बड़ा झटका था। मैंने तुरंत अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और जांच में पूरा सहयोग किया। अंततः सीबीआई ने मुझे क्लीन चिट दे दी।
इन सभी अनुभवों ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। मैंने महसूस किया कि एक जनप्रतिनिधि के रूप में मेरी जिम्मेदारी सिर्फ विकास कार्य करवाना नहीं है, बल्कि अपने क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखना भी है।
निजी जीवन में, मेरा विवाह बस्ती रियासत की राजकुमारी भान्वी देवी से हुआ[6]। हमारे दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं। परिवार मेरे लिए हमेशा प्राथमिकता रही है। चाहे कितनी भी व्यस्तता हो, मैं अपने बच्चों के लिए समय निकालने की कोशिश करता हूं।
आज, जब मैं अपने जीवन के इस पड़ाव पर खड़ा हूं, तो मुझे लगता है कि मैंने एक लंबा सफर तय किया है। एक राजघराने के वारिस से लेकर एक जनप्रतिनिधि बनने तक, यह यात्रा कई उतार-चढ़ाव से भरी रही है।
लेकिन मेरा सफर अभी खत्म नहीं हुआ है। मैं अभी भी अपने क्षेत्र और प्रदेश के विकास के लिए प्रतिबद्ध हूं। मेरा सपना है कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे विकसित राज्य बने। इसके लिए मैं लगातार काम कर रहा हूं।
अंत में, मैं कहना चाहूंगा कि राजनीति में सफलता का मतलब सिर्फ सत्ता में बने रहना नहीं है। असली सफलता है लोगों के दिलों में जगह बनाना और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना। मैं आशा करता हूं कि मेरे जीवन के अनुभव युवा पीढ़ी को प्रेरित करेंगे और वे भी देश सेवा के लिए आगे आएंगे।
Citations:
[1] https://en.wikipedia.org/wiki/Raghuraj_Pratap_Singh
[2] https://www.youtube.com/watch?v=zymlzod4hGQ
[3] https://www.youtube.com/watch?v=ozwDU8f6xe8
[4] https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%98%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AA_%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9
[5] https://www.aajtak.in/uttar-pradesh/story/bahubali-mla-raja-bhaiya-and-his-wife-rani-bhanvi-kumari-relationship-story-divorce-case-lclam-1767844-2023-08-29
[6] https://www.abplive.com/photo-gallery/news/mayawati-sent-raja-bhaiya-jail-in-pota-during-her-tenure-as-up-cm-kunda-mla-revealed-how-he-spent-his-time-in-jail-2053840
[7] https://www.thelallantop.com/lallankhas/post/kunda-dsp-zia-ul-haq-murder-story-fir-on-raja-bhaiya-registered-how-he-escape-parveen-azad-supreme-court-cbi
[8] https://ndtv.in/india/up-assembly-polls-2022-will-raja-bhaiya-alias-raghuraj-pratap-singh-remain-in-power-in-kunda-2673818