कैप्टन कूल: महेंद्र सिंह धोनी की आत्मकथा
प्रारंभ: जन्म और बचपन
7 जुलाई 1981 को रांची, बिहार (अब झारखंड) में एक साधारण परिवार में मेरा जन्म हुआ। मेरे पिता पान सिंह एक पंप ऑपरेटर थे और मां देवकी देवी एक गृहिणी थीं। हम तीन भाई-बहन थे - मेरी बड़ी बहन जयंती, बड़े भाई नरेंद्र और मैं सबसे छोटा।
बचपन से ही मुझे खेलों में रुचि थी। स्कूल में मैं फुटबॉल टीम का गोलकीपर था। लेकिन मेरे कोच केशव बनर्जी ने मुझे क्रिकेट खेलने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "महेंद्र, तुम्हारे हाथों में जादू है। तुम एक अच्छे विकेटकीपर बन सकते हो।" उनकी इस बात ने मेरी जिंदगी का रुख ही बदल दिया।
युवावस्था: संघर्ष और प्रारंभिक करियर
स्कूल के बाद मैंने खेल के साथ-साथ पढ़ाई भी जारी रखी। 2001 से 2003 तक मैंने खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर टिकट कलेक्टर की नौकरी की। दिन में नौकरी और शाम को क्रिकेट प्रैक्टिस - यह मेरा रूटीन था। कई बार रात की शिफ्ट के बाद सीधे मैदान पर पहुंच जाता था।
एक दिन की बात है, मैं रात की ड्यूटी करके सुबह 6 बजे मैदान पहुंचा। प्रैक्टिस मैच में मैंने शानदार बल्लेबाजी की और 70 रन बनाए। मेरे कोच ने कहा, "महेंद्र, तुम्हारे अंदर एक चैंपियन छिपा है। बस उसे बाहर निकालने की जरूरत है।"
राष्ट्रीय टीम में प्रवेश: एक नई शुरुआत
मेरी मेहनत रंग लाई और 2004 में मुझे भारतीय टीम में जगह मिली। 23 दिसंबर 2004 को बांग्लादेश के खिलाफ मैंने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला। हालांकि, मेरी शुरुआत अच्छी नहीं रही। पहले ही गेंद पर मैं रन आउट हो गया।
लेकिन मैंने हार नहीं मानी। अप्रैल 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ मैच में मुझे तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी का मौका मिला। मैंने 148 रनों की तूफानी पारी खेली। यह मेरा पहला अंतरराष्ट्रीय शतक था। इस पारी ने मेरे करियर को नई दिशा दी।
कप्तानी और विश्व कप जीत: सपने का साकार होना
2007 में मुझे टी20 विश्व कप के लिए भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया। यह मेरे लिए एक बड़ी चुनौती थी। फाइनल में हमने पाकिस्तान को हराकर खिताब जीता। जब मैंने जोगिंदर शर्मा को आखिरी ओवर के लिए गेंद दी, तब मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गई थीं। लेकिन मैंने अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं आने दिया। शायद तभी से लोगों ने मुझे 'कैप्टन कूल' कहना शुरू कर दिया।
2011 का विश्व कप मेरे करियर का सबसे यादगार पल था। फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ मैंने खुद को 5वें नंबर पर भेजा। 91 रनों की नाबाद पारी खेलकर मैंने टीम को जीत दिलाई। जब मैंने आखिरी छक्का मारा, तो पूरा देश खुशी से झूम उठा। वह पल मैं कभी नहीं भूल सकता।
चेन्नई सुपर किंग्स और आईपीएल सफलता
2008 में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की शुरुआत हुई। मुझे चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) का कप्तान बनाया गया। CSK के साथ मेरा रिश्ता बहुत खास रहा है। हमने कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन हमेशा एक टीम की तरह खड़े रहे।
2010 और 2011 में हमने लगातार दो बार आईपीएल खिताब जीता। 2015 में टीम पर दो साल का बैन लगा, लेकिन हम वापस आए और 2018 में फिर से चैंपियन बने। यह हमारी टीम के जज्बे का सबूत था।
एक मैच की बात है, हमें आखिरी ओवर में 26 रन चाहिए थे। मैंने अपने साथी खिलाड़ी से कहा, "बस रन बनाते रहो, मैं आखिरी दो गेंदों पर छक्के मार दूंगा।" और वही हुआ। मैंने आखिरी दो गेंदों पर दो छक्के मारकर मैच जीत लिया। यह मेरे करियर का सबसे यादगार फिनिश था।
व्यक्तिगत जीवन और शादी
क्रिकेट के अलावा, मेरा व्यक्तिगत जीवन भी काफी रोचक रहा है। 2010 में मेरी शादी साक्षी रावत से हुई। हमारी मुलाकात एक होटल में हुई थी, जहां साक्षी इंटर्नशिप कर रही थीं। हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई और हमने शादी कर ली।
2015 में हमारी बेटी जीवा का जन्म हुआ। उस समय मैं ऑस्ट्रेलिया में विश्व कप खेल रहा था। जब मुझसे पूछा गया कि क्या मैं घर जाना चाहता हूं, तो मैंने कहा, "नहीं, मैं राष्ट्रीय ड्यूटी पर हूं। बाकी सब इंतजार कर सकता है।" यह मेरे लिए एक कठिन फैसला था, लेकिन मैं जानता था कि मेरी टीम को मेरी जरूरत है।
संन्यास और नया अध्याय
15 अगस्त 2020 को मैंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया। यह मेरे लिए एक भावुक पल था। मैंने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें मेरे करियर के यादगार पल थे। पीछे मेरा पसंदीदा गाना 'मैं पल दो पल का शायर हूं' बज रहा था।
संन्यास के बाद भी मैंने आईपीएल में खेलना जारी रखा। 2021 में हमने फिर से खिताब जीता। यह मेरे लिए एक खास पल था, क्योंकि इससे साबित हुआ कि मैं अभी भी खेल सकता हूं और जीत सकता हूं।
भविष्य की योजनाएं और संदेश
आज जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मुझे लगता है कि मैंने एक लंबा सफर तय किया है। एक छोटे से शहर के लड़के से लेकर भारतीय क्रिकेट टीम का सबसे सफल कप्तान बनने तक, यह यात्रा कई उतार-चढ़ाव से भरी रही है।
मैं युवाओं को यही संदेश देना चाहता हूं कि अपने सपनों पर विश्वास रखें और कड़ी मेहनत करें। कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है, अगर आप उसके लिए पूरी लगन से काम करें।
भविष्य में, मैं युवा क्रिकेटरों को प्रशिक्षित करने और उन्हें अपने अनुभव से लाभ पहुंचाने की योजना बना रहा हूं। मेरा मानना है कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य बहुत उज्ज्वल है।
अंत में, मैं कहना चाहूंगा कि क्रिकेट ने मुझे बहुत कुछ दिया है। अब समय है कि मैं इस खेल को कुछ वापस दूं। मेरा सफर जारी है, और मैं आने वाले समय में भी क्रिकेट से जुड़ा रहूंगा, चाहे वह किसी भी रूप में हो।
जय हिंद!
Citations:
[1] https://en.wikipedia.org/wiki/MS_Dhoni
[2] https://www.jagranjosh.com/general-knowledge/ms-dhoni-biography-1594085953-1
[3] https://www.zapcricket.com/blogs/newsroom/ms-dhoni-history
[4] https://www.cricbuzz.com/profiles/265/ms-dhoni
[5] https://www.espncricinfo.com/cricketers/ms-dhoni-28081
[6] https://crictoday.com/cricket/series/ms-dhoni/
[7] https://7criccricket.in/player/ms-dhoni/
[8] https://www.britannica.com/biography/MS-Dhoni
[9] https://www.crictracker.com/ms-dhoni-family/