पाई (π) का इतिहास अत्यंत प्राचीन और विविधतापूर्ण है, जिसका विकास मानव सभ्यता के साथ-साथ होता रहा है। इस गहन शोध पर आधारित विवरण में पाई के विकास के विभिन्न चरणों को क्रमिक रूप से समेटा गया है।
प्राचीन काल
बेबीलोनियन और मिस्री गणना
सबसे पुराने ज्ञात अनुमान पाई के लिए बेबीलोनिया और मिस्र से मिलते हैं। लगभग 1900-1600 ईसा पूर्व की एक बेबीलोनियन मिट्टी की सिक्की पर, पाई का मान 25/8 = 3.125 माना गया था[4][7]। लगभग 1650 ईसा पूर्व के मिस्री राइंड पेपिरस में, एक वृत्त के क्षेत्रफल की गणना के लिए पाई का मान (16/9)^2 ≈ 3.16 लिया गया था[4][6]।
आर्किमिडीज का योगदान
लगभग 250 ईसा पूर्व में, यूनानी गणितज्ञ आर्किमिडीज ने वृत्त के चारों ओर अंतर्लिखित और परिलिखित बहुभुजों का उपयोग करके पाई की गणना की[1][4]। उन्होंने सिद्ध किया कि 223/71 < π < 22/7, यानी 3.1408 < π < 3.1429[6]।
मध्य युग
मध्य युग के दौरान, पाई की गणना में बहुत अधिक प्रगति नहीं हुई। हालांकि, चीनी गणितज्ञों ने इस अवधि में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
चीन में विकास
लगभग 265 ईस्वी में, चीनी गणितज्ञ लिउ हुई ने 3,072 भुजाओं वाले बहुभुज का उपयोग करके पाई का मान 3.1416 निकाला[3][5]। लगभग 480 ईस्वी में, जू चोंगझी ने 12,288 भुजाओं वाले बहुभुज से पाई का मान 355/113 ≈ 3.141592 निकाला, जो 800 वर्षों तक सबसे सटीक अनुमान रहा[3][5]।
आधुनिक काल
यूरोप में विकास
15वीं शताब्दी तक, यूरोपीय गणितज्ञ भी पाई की गणना में योगदान देने लगे। 1593 में, फ्रांसिस्को विएटे ने पाई के 9 दशमलव स्थान निकाले[3]। 1596 में, लुडोल्फ वैन कॉयलेन ने बहुभुजों का उपयोग करके पाई के 20 दशमलव स्थान निकाले[3]।
अनंत श्रेणियों का उपयोग
17वीं शताब्दी में, अनंत श्रेणियों का उपयोग करके पाई की गणना में महत्वपूर्ण प्रगति हुई। 1655 में, जॉन वालिस ने पाई/2 के लिए एक अनंत गुणनफल श्रेणी विकसित की[1]। 1671 में, जेम्स ग्रेगरी ने पाई/4 के लिए एक अनंत श्रेणी विकसित की[5]।
लैम्बर्ट और लिंडेमैन का योगदान
1761 में, जोहान लैम्बर्ट ने सिद्ध किया कि पाई एक अपरिमेय संख्या है, यानी इसे दो पूर्णांकों के अनुपात के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता[1][5]। 1882 में, फर्डिनैंड लिंडेमैन ने सिद्ध किया कि पाई एक ट्रांसेंडेंटल संख्या भी है[5]।
20वीं शताब्दी के विकास
20वीं शताब्दी में, कंप्यूटरों के विकास ने पाई की गणना को और आगे बढ़ाया। 1949 में, ENIAC कंप्यूटर ने पाई के 2,037 दशमलव स्थान निकाले[1]। 1961 में, IBM 7090 ने पाई के 100,000 दशमलव स्थान निकाले[3]।
रामानुजन का योगदान
भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन ने पाई की गणना के लिए एक अत्यंत कुशल सूत्र विकसित किया, जिसे बाद में कंप्यूटर एल्गोरिदम में शामिल किया गया[1]। 1985 में, विलियम गॉस्पर ने रामानुजन के सूत्र का उपयोग करके पाई के 17 मिलियन दशमलव स्थान निकाले[7]।
आधुनिक समय
आज के समय में, पाई की गणना लगातार जारी है। 2022 तक, पाई के 100 ट्रिलियन से अधिक दशमलव स्थान निकाल लिए गए हैं[5]। हालांकि, पाई के अंकों में कोई पैटर्न नहीं मिला है, लेकिन इसकी गणना कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के विकास के लिए महत्वपूर्ण बनी हुई है।
इस प्रकार, पाई का इतिहास मानव सभ्यता के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। यह न केवल गणितीय प्रगति का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक बदलावों का भी द्योतक है। आज भी, पाई गणित और विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अवधारणा बनी हुई है।
Citations:
[1] https://thevarsity.ca/2022/03/13/pi-day-2022/
[2] https://www.slideshare.net/slideshow/history-of-pi-49791070/49791070
[3] https://mathshistory.st-andrews.ac.uk/HistTopics/Pi_chronology/
[4] https://www.exploratorium.edu/pi/history-of-pi
[5] https://testbook.com/history-of/pi
[6] https://en.wikipedia.org/wiki/Pi
[7] https://www.timetoast.com/timelines/pi-c2044668-4310-43cb-8277-fc9d19ae7f33