चश्मों का इतिहास अत्यंत प्राचीन और विविधतापूर्ण है, जो मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ बदलता और विकसित होता रहा है। चश्मों के आविष्कार और उपयोग से न केवल दृष्टि संबंधी समस्याओं का समाधान हुआ, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों का भी प्रतीक बना। इस गहन शोध पर आधारित विवरण में चश्मों के इतिहास के विभिन्न पहलुओं को समेटा गया है।
प्रारंभिक इतिहास
चश्मों के आविष्कार का सबसे पुराना ज्ञात प्रमाण लगभग 1000 ईस्वी से है, जब अरब के गणितज्ञ अल-हाजन ने प्रकाश और दृष्टि के सिद्धांतों पर काम किया था[3]। इसके बाद, 13वीं शताब्दी में इटली के कुछ शिल्पकारों ने पहली बार लेंस वाली चश्में बनाईं, जिन्हें "रिवेट स्पेक्टेकल्स" कहा जाता था[11]।
13वीं-14वीं शताब्दी का विकास
13वीं शताब्दी के अंत में, इटली के पिसा में दो रहने वाले कैथोलिक धर्म के फ्रांसिसकन संत जॉर्डानो दा रिवाल्टो और अलेसेंड्रो देला स्पिना ने चश्मों का उपयोग करना शुरू किया[11]। 1352 में, इटली के टोमासो डा मोडेना ने एक चित्र में भिक्षुओं को चश्में पहने हुए दिखाया, जो चश्मों के प्रारंभिक उपयोग का सबसे पुराना चित्रात्मक प्रमाण है[11]।
इस दौरान, चश्मों की लेंस काफी मोटी और अनियमित होती थीं। वे लकड़ी, चमड़े या सींग से बनी फ्रेमों में जड़ी होती थीं और नाक पर रखकर उपयोग किया जाता था[2]। चश्मों का उपयोग शुरुआत में केवल धनी वर्ग और धार्मिक लोगों द्वारा किया जाता था।
15वीं-18वीं शताब्दी का विकास
15वीं शताब्दी में, चश्मों के डिजाइन में सुधार किया गया और उन्हें नाक पर रखने के लिए पतली धातु की कड़ी लगाई गई[9]। 16वीं शताब्दी में, चश्मों में कान के पीछे से जाने वाले धातु के हुक लगाए गए, जिससे उन्हें सुरक्षित रूप से पहना जा सकता था[17]।
18वीं शताब्दी में, बेंजामिन फ्रैंकलिन ने बाईफोकल लेंस का आविष्कार किया, जिसमें दूर और नजदीक की दृष्टि दोनों को ठीक करने वाली लेंस लगी होती थी[5]। इसी समय, लंदन के एडवर्ड स्कारलेट ने आधुनिक चश्मों का डिजाइन विकसित किया, जिसमें कान पर लगने वाले धातु के हुक होते थे[2]।
19वीं शताब्दी का विकास
19वीं शताब्दी में, चश्मों के निर्माण में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए। 1825 में, जॉर्ज एरी ने सिलिंड्रिकल लेंस बनाया, जिससे आँखों की अपवर्तन दोष की समस्या दूर हुई[3][4]। 1880 के दशक में, चश्मों की लेंस में प्लास्टिक का उपयोग शुरू हुआ, जिससे वे हल्के और मजबूत हो गए[16]।
इस दौरान, चश्मे पहनना एक प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गया था। धनी और शिक्षित लोग चश्मे पहनकर अपनी बुद्धिमत्ता और सामाजिक स्थिति का प्रदर्शन करते थे[13]।
20वीं शताब्दी का विकास
20वीं शताब्दी में, चश्मों के निर्माण में और अधिक सुधार हुए। 1959 में, प्रोग्रेसिव लेंस का आविष्कार हुआ, जिससे एक ही चश्मे से दूर, नजदीक और मध्यम दूरी देखा जा सकता था[7]। इसके बाद, फोटोक्रोमिक और एंटी-रिफ्लेक्टिव लेंस भी विकसित हुए[4]।
इस दौरान, चश्मों के फ्रेम के लिए प्लास्टिक, टाइटेनियम और अन्य हल्के पदार्थों का उपयोग होने लगा। साथ ही, चश्मों के डिजाइन में भी विविधता आई और वे एक फैशन स्टेटमेंट बन गए[9]।
आधुनिक समय
आज के समय में, चश्मों का उपयोग न केवल दृष्टि संबंधी समस्याओं के लिए किया जाता है, बल्कि वे एक फैशन एक्सेसरी भी बन गए हैं। विभिन्न डिजाइन, रंग और आकार के चश्मे उपलब्ध हैं, जो व्यक्ति की पसंद और शैली से मेल खाते हैं[4]।
साथ ही, चश्मों की लेंस में भी कई नवीन तकनीकें शामिल की गई हैं, जैसे ब्लू लाइट फिल्टर, यूवी प्रोटेक्शन और एंटी-फॉग कोटिंग[15]। स्मार्ट ग्लासेस भी विकसित की गई हैं, जिनमें आभासी वास्तविकता और कंप्यूटर इंटरफेस जैसी सुविधाएं होती हैं[18]।
निष्कर्ष
चश्मों का इतिहास मानव सभ्यता के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। यह न केवल तकनीकी प्रगति का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक बदलावों का भी द्योतक है। आज भी, चश्मे अपनी उपयोगिता और फैशन के कारण एक महत्वपूर्ण एक्सेसरी बने हुए हैं, जो लोगों की दृष्टि संबंधी समस्याओं को दूर करने के साथ-साथ उनकी शैली को भी निखारते हैं।
Citations:
[1] https://www.eyediologyopticians.co.uk/home/glasses/the-history-of-glasses/
[2] https://www.zeiss.co.in/vision-care/eye-health-and-care/understanding-vision/the-history-of-glasses.html
[3] https://www.mcrsafety.com/blog/history-of-glasses
[4] https://www.zennioptical.com/blog/history-eyeglasses/
[5] https://atlanticeyeinstitute.com/the-history-of-eyeglasses/
[6] https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC9045786/
[7] https://www.readingglasses.com/blogs/news/history-of-eyewear
[8] https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC9518476/
[9] https://www.latelieroptica.es/en/inspiration/the-evolution-of-glasses-throughout-history/
[10] https://visionspring.org/why-eyeglasses
[11] https://en.wikipedia.org/wiki/Glasses
[12] https://www.studocu.com/ph/document/lorma-colleges/physical-therapy/eyeglasses-my-notes/35258596
[13] https://digitalrepository.trincoll.edu/cgi/viewcontent.cgi?article=1119&context=trinitypapers
[14] https://timesofindia.indiatimes.com/readersblog/visionspringglobal/why-eyeglasses-the-health-social-and-economic-effects-of-vision-impairment-are-too-big-to-ignore-44894/
[15] https://artandeyesneworleansla.com/2024/03/the-psychology-of-eyewear-how-glasses-impact-perceptions-and-self-image/
[16] https://www.glasses.com/gl-us/blog/when-were-glasses-invented
[17] https://www.college-optometrists.org/the-british-optical-association-museum/the-history-of-spectacles
[18] https://www.uoosd.com/history-of-glasses
[19] https://www.framesdirect.com/knowledge-center/who-invented-glasses

