सती प्रथा की शुरुआत और इसके ऐतिहासिक प्रमाणों के बारे में निम्नलिखित जानकारी मिलती है:
सती प्रथा की शुरुआत
1. **प्राचीन संदर्भ**:
- सती प्रथा का नाम देवी सती से लिया गया है, जिन्हें दक्षायनी के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, देवी सती ने अपने पिता दक्ष द्वारा अपने पति महादेव शिव के तिरस्कार से व्यथित होकर यज्ञ की अग्नि में कूदकर आत्मदाह कर लिया था[1].
2. **प्राचीन भारत में प्रचलन**:
- सती प्रथा का सबसे पुराना उल्लेख महाभारत और अन्य प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह प्रथा कब और कैसे शुरू हुई थी।
3. **मुगल काल**:
- मुगल शासकों ने भी इस प्रथा का उल्लेख किया है। हुमायूं और अकबर ने सती प्रथा पर रोक लगाने के प्रयास किए थे[3].
4. **इस्लामिक आक्रमणों के समय**:
- कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस्लामिक आक्रमणों के समय, राजाओं की रानियों और अन्य महिलाओं ने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए सती प्रथा का पालन किया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण चित्तौड़ की महारानी पद्मिनी का आता है[1].
सती प्रथा के प्रमाणिक आंकड़े
1. **ब्रिटिश काल**:
- ब्रिटिश शासन के दौरान सती प्रथा के खिलाफ कड़े कदम उठाए गए। 1829 में लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने सती प्रथा को गैरकानूनी घोषित कर दिया[2][3].
- राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा के खिलाफ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपनी भाभी की सती होने की घटना के बाद इस प्रथा को समाप्त करने का संकल्प लिया[3].
2. **कानूनी प्रतिबंध**:
- 1829 में बंगाल सती रेग्युलेशन पास किया गया, जिसमें सती प्रथा को मानवता के खिलाफ बताया गया और इसे प्रतिबंधित कर दिया गया[3].
3. **आधुनिक काल**:
- 1987 में राजीव गांधी ने सती प्रथा को प्रोत्साहित करने या समर्थन करने वालों के खिलाफ कड़े कानून बनाए[2].
सती प्रथा का उल्लेख महाभारत में
1. **माद्री का सती होना**:
- महाभारत के आदि पर्व में पांडु की मृत्यु के बाद उनकी दूसरी पत्नी माद्री ने सती होने का निर्णय लिया। माद्री ने पांडु की चिता पर आत्मदाह किया। यह घटना महाभारत में सती प्रथा के सबसे पुराने उल्लेखों में से एक है[2][4][7]।
2. **सहगमन (Sahagamana)**:
- सती प्रथा को संस्कृत में "सहगमन" कहा जाता था, जिसका अर्थ है "साथ में यात्रा करना"। यह प्रथा इस विश्वास पर आधारित थी कि पत्नी को अपने पति के साथ परलोक में जाना चाहिए[2][4]।
3. **कृष्ण की पत्नियों का सती होना**:
- महाभारत के बाद के अध्यायों में, कृष्ण की मृत्यु के बाद उनकी कुछ पत्नियों ने सती होने का निर्णय लिया। इनमें रुक्मिणी और अन्य पत्नियाँ शामिल थीं[4]।
संदर्भ और प्रमाण
1. **माद्री का सती होना**:
- महाभारत के आदि पर्व में पांडु की मृत्यु के बाद माद्री ने आत्मदाह किया। यह घटना महाभारत में सती प्रथा का सबसे प्रमुख और पुराना उल्लेख है[2][4][7]।
2. **कृष्ण की पत्नियों का सती होना**:
- महाभारत के बाद के अध्यायों में, कृष्ण की मृत्यु के बाद उनकी कुछ पत्नियों ने सती होने का निर्णय लिया। यह घटना महाभारत के बाद के संस्करणों में जोड़ी गई हो सकती है[4]।
निष्कर्ष
सती प्रथा की शुरुआत के बारे में स्पष्ट ऐतिहासिक प्रमाण नहीं हैं, लेकिन यह प्रथा प्राचीन भारत में प्रचलित थी और विभिन्न कालों में इसका उल्लेख मिलता है। मुगल और ब्रिटिश काल में इस प्रथा के खिलाफ कदम उठाए गए, और अंततः 1829 में इसे कानूनी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया। राजा राम मोहन राय और लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने इस प्रथा को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
Citations:
[1] https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%A4%E0%A5%80_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A5%E0%A4%BE
[2] https://www.bbc.com/hindi/india-65375019
[3] https://navbharattimes.indiatimes.com/education/gk-update/sati-pratha-nishedh-adhiniyam-things-you-must-know-about-sati-pratha/articleshow/72362475.cms

